एक के बाद एक झटकों से इजरायल हैरान होता जा रहा है . भारत का पहले संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ किया गया वोट और अब भारत के प्रधानमन्त्री की फिलिस्तीन यात्रा . इन सबने इजरायल को चौंका कर रख दिया है . मोदी की इस विदेश यात्रा में सारे इस्लामिक मुल्क ही हैं जिसमे सबसे हैरानी भरा कदम फिलिस्तीन की यात्रा है जो आज तक किसी भी भारतीय प्रधानमन्त्री ने नहीं की है . विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देश फलस्तीन, यूएई और ओमान की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए हैं। किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला फलस्तीन दौरा भी होगा। पीएम ने गुरुवार को कहा, 'भारत के लिए खाड़ी और पश्चिम एशिया क्षेत्र मुख्य प्राथमिकता है और उनका यह दौरा इस क्षेत्र से रिश्तों को मजबूत करना है।' मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ अपनी वार्ता को लेकर सकारात्मक हैं। इस फैसले से अमेरिका तक असमंजस में आ गया है क्योकि अभी हाल में ही उसे फिलिस्तीन सन्गठन हमास के एक बड़े नेता को अन्तराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया था . उन्होंने फलस्तीनी लोगों और फलस्तीन के विकास के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि भी की। मोदी ने कहा कि जॉर्डन के बाद 10 फरवरी को उनकी फलस्तीन की यात्रा शुरू होगी। मोदी 9-12 फरवरी को तीन देशों के अपने दौरे पर होंगे। उन्होंने कहा कि वह 2015 से खाड़ी और पश्चिमी एशियाई क्षेत्र के अपने पांचवें दौरे पर होंगे। इस से पहले भाजपा के ही फायरब्रांड सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी इजरायल के विरोध और फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े होने के लिए अपनी ही सरकार की आलोचना की है . निश्चित तौर पर एक बार फिर से फिलिस्तीन की ये यात्रा भारत में वाद विवाद का विषय बन सकती है .
उन्होंने कहा कि मैं ट्रांजिट सुविधा के लिए जॉर्डन के मैजिस्टी किंग अब्दुल्ला द्वितीय का कृतज्ञ हूं। मैं 9 फरवरी को अम्मान में उनकी बैठक को लेकर सकारात्मक हूं। उन्होंने कहा कि वह 10-11 फरवरी को यूएई के दौरे पर होंगे। वह दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट के छठवें अधिवेशन को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि 11 फरवरी की शाम को वह ओमान के सुल्तान से मुलाकात करेंगे।